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मुगल बादशाह अकबर व बीरबल

 मुगल बादशाह अकबर का नाम आए और बीरबल की बात न निकले ऐसा हो ही नहीं सकता। बीरबल अकबर के नौरत्नों में से एक थे और एक महान मजाकिया , बुद्धिमान, कवि  और लेखक थे जो अपने बहुमूल्य सलाह के लिए जाने जाते थे।

      लोकप्रियता में बीरबल का कोई सानी नहीं था। वे उच्च कोटि के प्रशासक, और तलवार के धनी थे। उनकी विनोदप्रियता और चतुराई के किस्से भारतवर्ष के कोने कोने में प्रसिद्द थे और सभी उनके प्रशंषक थे। उनके प्रशंषकों में सम्राट अकबर भी थे, इसी कारणवश बाकि दरबारी बीरबल से ईर्ष्या रखते थे और हमेशा उन्हें नीचा दिखाने के लिए षड़यंत्र रचाते थे लेकिन हर बार बीरबल अपनी चतुराई से उन्हें मात दे देते थे।
वैसे तो बीरबल के नाम से प्रसिद्ध थे, परंतु उनका असली नाम महेशदास था। ऐसा विश्वास किया जाता है कि यमुना के तट पर बसे त्रिविक्रमपुर (अब तिकवांपुर के नाम से प्रसिद्ध) एक निर्धन ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे।  लेकिन अपनी प्रतिभा के बल पर उन्होंने बादशाह अकबर के दरबार के नवरत्नों में स्थान प्राप्त किया था।
बीरबल सेनानायक के रूप में अफगानिस्तान की लड़ाई में मारे गए। कहा जाता है कि उनकी मृत्यु ईर्ष्यालु विरोधियों का परिणाम थी।

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   बहुत कम लोगों को पता होगा कि बीरबल एक कुशल कवि भी थे। वे ‘ब्रह्म’ उपनाम से लिखते थे। उनकी कविताओं का संग्रह आज भी भरतपुर-संग्रहालय में सुरक्षित है।
अकबर और बीरबल की कहानियाँ हम बचपन से पढ़ते और सुनते आये हैं जिनसे बीरबल की बुद्धिमता और चतुराई का अंदाजा लगाया जा सकता है, ये कहानियाँ अत्यंत रोचक तो हैं ही इनमे ज्ञान, प्रेरणा और सीखने योग्य भी बहुत कुछ है।







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