(Syed Abid Ali)
निजी जीवन
आबिद अली ने हैदराबाद में सेंट जॉर्ज ग्रामर स्कूल और ऑल सेंट हाई स्कूल में पढाई के लिए दाखिला लिया था। इसके बाद १९५६ ईस्वी में उन्हें चयनकर्ताओं ने हैदराबाद स्कूलों के लिए खेलाने का फैसला लिया था, जो उनके क्षेत्ररक्षण से काफी प्रभावित हुए थे। इसके बाद उन्होंने केरल के खिलाफ शानदार बल्लेबाजी करते हुए एक मैच में ८२ रनों की पारी खेली थी और साथ ही सर्वश्रेष्ठ क्षेत्ररक्षक पुरस्कार भी जीता था। इसके कुछ साल बाद जब स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद ने एक क्रिकेट टीम बनाई, तो उन्हें वहां नौकरी दे दी थी। सय्यद गेंदबाज बनने से पहले उन्होंने एक विकेट कीपर के रूप में भी अपना कैरियर शुरू किया था।
क्रिकेट कैरियर
सय्यद अबिद अली ने १९५८-५९ में हैदराबाद की ज्यूनियर क्रिकेट टीम में खेलने का मौका मिला और फिर अगले ही साल इनको रणजी ट्रॉफी टीम में भी खेलने का मौका मिल गया था। इनका शुरूआती कैरियर अच्छा नहीं रहा था और पहले कुछ वर्षों में मुश्किल से गेंदबाजी की और साथ ही ये बल्लेबाजी के लिए भी जाने जाते तो १९६७ तक अपना पहला रणजी शतक भी नहीं बना पाये। लेकिन इसके बाद इनको अप्रत्याशित रूप से उस वर्ष ऑस्ट्रेलियाई और फिर न्यूज़ीलैंड टीम के दौरे के लिए टीम में जगह दी थी।
कैरियर की शुरुआत
सय्यद अबिद अली ने अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कैरियर की शुरुआत उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के खिलाफ २५ दिसम्बर १९६७ को की थी। इस मैच में इन्हें कप्तान मंसूर अली ख़ान पटौदी की जगह खिलाया था। इन्होंने पहले टेस्ट मैच में कप्तान पटौदी की जगह खेले थे, जो घायल हो गए थे। अबिद अली ने उस मैच की दोनों पारियों में मात्र ३२ रन ही बना पाये थे और पारी में ५५ रन देकर ६ विकेट भी अपने नाम किये थे। इस बिंदु पर पहली बार अपने पहले टेस्ट मैच में भारतीय क्रिकेट टीम की तरफ से खेलने वाले खिलाड़ी ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। तीसरे टेस्ट में बल्लेबाजी के लिए भेजा गया, और इन्होंने रन बनाए। इसके बाद सीरीज के अंतिम टेस्ट में ८१ और फिर दूसरी पारी में ७८ रनों की पारी खेली थी
अबिद गैर-स्ट्राइकर थे जब भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने जबरदस्त बल्लेबाजी करते हुए १९७१ में पोर्ट ऑफ स्पेन में खेले गए टेस्ट मैच में कैरिबियाई टीम के खिलाफ जीत हासिल की थी। उस दौरान वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम ने उस श्रृंखला के अंतिम टेस्ट में एक मुश्किल रनों के लक्ष्य का पीछा किया था तब अबिद अली ने रोहन कानाखे और गैरी सोबर्स लगातार गेंदों पर आउट किया था। कुछ महीने बाद, इन्होंने चौका लगाते हुए मैच को भारतीय टीम को जिताया था वो मैच भारत और इंग्लैंड क्रिकेट टीम के मध्य खेला गया था और उस मैच में भारत ने ओवल क्रिकेट ग्राउंड इंग्लैंड को चार विकेटों से हराया था। इसके बाद इन्होंने सीरीज के अगले मैच में लंच के बाद इंग्लैंड के ४ कीमती विकेट मात्र १९ रन देकर चटकाए थे। वो मैच मैनचेस्टर में खेला गया था।
इनका जन्म ९ सितम्बर १९४१ को हुआ था ,एक पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी है। ये मुख्य रूप से बल्लेबाज और गेंदबाज दोनों के लिए जाने है इसलिए ये हरफनमौला खिलाड़ियों की श्रेणी में आते हैं। सय्यद अबिद अली निचले क्रम पर बल्लेबाजी किया करते थे जबकि मध्यम तेज गेंदबाजी करते थे।
निजी जीवन
आबिद अली ने हैदराबाद में सेंट जॉर्ज ग्रामर स्कूल और ऑल सेंट हाई स्कूल में पढाई के लिए दाखिला लिया था। इसके बाद १९५६ ईस्वी में उन्हें चयनकर्ताओं ने हैदराबाद स्कूलों के लिए खेलाने का फैसला लिया था, जो उनके क्षेत्ररक्षण से काफी प्रभावित हुए थे। इसके बाद उन्होंने केरल के खिलाफ शानदार बल्लेबाजी करते हुए एक मैच में ८२ रनों की पारी खेली थी और साथ ही सर्वश्रेष्ठ क्षेत्ररक्षक पुरस्कार भी जीता था। इसके कुछ साल बाद जब स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद ने एक क्रिकेट टीम बनाई, तो उन्हें वहां नौकरी दे दी थी। सय्यद गेंदबाज बनने से पहले उन्होंने एक विकेट कीपर के रूप में भी अपना कैरियर शुरू किया था।
क्रिकेट कैरियर
सय्यद अबिद अली ने १९५८-५९ में हैदराबाद की ज्यूनियर क्रिकेट टीम में खेलने का मौका मिला और फिर अगले ही साल इनको रणजी ट्रॉफी टीम में भी खेलने का मौका मिल गया था। इनका शुरूआती कैरियर अच्छा नहीं रहा था और पहले कुछ वर्षों में मुश्किल से गेंदबाजी की और साथ ही ये बल्लेबाजी के लिए भी जाने जाते तो १९६७ तक अपना पहला रणजी शतक भी नहीं बना पाये। लेकिन इसके बाद इनको अप्रत्याशित रूप से उस वर्ष ऑस्ट्रेलियाई और फिर न्यूज़ीलैंड टीम के दौरे के लिए टीम में जगह दी थी।
कैरियर की शुरुआत
सय्यद अबिद अली ने अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कैरियर की शुरुआत उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के खिलाफ २५ दिसम्बर १९६७ को की थी। इस मैच में इन्हें कप्तान मंसूर अली ख़ान पटौदी की जगह खिलाया था। इन्होंने पहले टेस्ट मैच में कप्तान पटौदी की जगह खेले थे, जो घायल हो गए थे। अबिद अली ने उस मैच की दोनों पारियों में मात्र ३२ रन ही बना पाये थे और पारी में ५५ रन देकर ६ विकेट भी अपने नाम किये थे। इस बिंदु पर पहली बार अपने पहले टेस्ट मैच में भारतीय क्रिकेट टीम की तरफ से खेलने वाले खिलाड़ी ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। तीसरे टेस्ट में बल्लेबाजी के लिए भेजा गया, और इन्होंने रन बनाए। इसके बाद सीरीज के अंतिम टेस्ट में ८१ और फिर दूसरी पारी में ७८ रनों की पारी खेली थी
अबिद गैर-स्ट्राइकर थे जब भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने जबरदस्त बल्लेबाजी करते हुए १९७१ में पोर्ट ऑफ स्पेन में खेले गए टेस्ट मैच में कैरिबियाई टीम के खिलाफ जीत हासिल की थी। उस दौरान वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम ने उस श्रृंखला के अंतिम टेस्ट में एक मुश्किल रनों के लक्ष्य का पीछा किया था तब अबिद अली ने रोहन कानाखे और गैरी सोबर्स लगातार गेंदों पर आउट किया था। कुछ महीने बाद, इन्होंने चौका लगाते हुए मैच को भारतीय टीम को जिताया था वो मैच भारत और इंग्लैंड क्रिकेट टीम के मध्य खेला गया था और उस मैच में भारत ने ओवल क्रिकेट ग्राउंड इंग्लैंड को चार विकेटों से हराया था। इसके बाद इन्होंने सीरीज के अगले मैच में लंच के बाद इंग्लैंड के ४ कीमती विकेट मात्र १९ रन देकर चटकाए थे। वो मैच मैनचेस्टर में खेला गया था।
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