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अब्राहम लिंकन के जीवन की एक कहानी

अमरीका के 16वे राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन एक दूरदर्शी अधिनायक थे। उनमें लोगों से डील करने की अद्भुत कला थी ,उन्हें ये बात बेहद अच्छी तरह से मालूम थी कि कब क्या बात कहनी हैं और किस तरह से की सामने वाले व्यक्ति पर उसका सकारात्मक प्रभाव पड़े !


ऐसा ही एक उदाहरण डेल कार्निगी ने अपनी किताब "हाऊ टू विन फ्रेंड्स एंड इन्फ्लुएंस पीपल" में समझाया हैं ।
बात सिविल वॉर के समय की हैं जब आर्मी जनरल ने लिंकन द्वारा दिये गए आदेशो का पालन नहीं किया ।
लिंकन ने आर्मी जनरल को एक लेटर लिखा :
"मुझे नहीं लगता तुम ली के भाग जाने से होने वाले दुर्भाग्य को पसंद करोगे. वह हमारी पकड़ में था, और अगर हमने उसे पकड़ लिया होता तो शायद सिविल वॉर खत्म हो जाती. अब जो वह भाग हैं ना जाने वॉर कब तक चलेगी. यदि तुम ली को पिछले सोमवार अटैक नहीं कर सके, तो फिर तुम उसे नदी के दक्षिणी हिस्से में कैसे अटैक करोगे वह भी पहले के मुकाबले दो-तिहाई आर्मी के साथ. तुमसे उम्मीद रखना अकारण ही होगा लेकिन मुझे नहीं लगता अब तुम कुछ ज़्यादा कर भी पाओगे. तुमने एक स्वर्णीय मौका गवा दिया हैं, और इस वजह से मैं बहुत व्यथित हूँ."
बिना किसी संकोच के यह पत्र काफी आलोचनक हैं। लेकिन आश्चर्य की बात यह कि राष्ट्रपति लिंकन ने यह पत्र कभी जनरल को भेजी ही नहीं और यह पत्र उनके कागजातों के साथ पाया गया उनकी मृत्यु के बाद।
डेल कार्निगी ने इस पत्र को न भेजने के पीछे की कहानी अपने नज़रिये से सोची । उन्होंने सोचा कि की लिंकन ने यह सोचा होगा :

"शायद मुझे जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए. मेरे लिए यहां वाइट हाउस में आराम से बैठकर जनरल को आदेश देने बहुत आसान हैं. अगर मैं जनरल की जगह गैटिसबर्ग में होता और मैंने इतने लोगों की चीख़ें और बहा खून देखा होता तो शायद मैं भी आक्रमण करने के लिए अनिकछुक होता. बहरहाल अब पानी सर के ऊपर जा चुका हैं. अगर मैं उसे अब यह पत्र भेजता हूँ तो वह मेरे गुस्से को संतुष्ट कर देगा लेकिन यह उसे सफाई देने पर मजबूर भी करेगा. जनरल मुझे कोसेगा. यह मेरे लिए उसके मन मे कड़वी भावना पैदा करेगा और शायद अपनी सारी काबिलियत खो दे और अपने पद से इस्तीफ़ा देने पर मजबूर कर दे."

राष्ट्रपति लिंकन की सोचने की क्षमता ने हमें यह सिखाया :
  • किसी को प्रतिक्रिया देने से पहले यह सोचे कि उसका असर कैसा होगा, और वह आपके लक्ष्य को किस तरह प्रभावित करेगा।
  • किसी भी व्यक्ति की आलोचना करने से पहले खुदको उसकी जगह रख कर देखें।
  • यदि आप किसी परिणाम से निराश या क्रोधित हैं, तो उस गुस्से को निकालने का तरीका ढूंढे, लेकिन सही तरीके से।

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