वैसे तो इतिहास में बहुत महान राजा हुए जिनको इतिहास में उचित स्थान नही मिला लेकिन मैं आज एक ऐसे राजा के बारे में बताना चाहूंगा जिसने दुनिया जितने की चाह रखने वाले सिकंदर के दाँत खट्टे कर दिए थे. वह राजा था पुरुवंशी महान सम्राट पोरस.
पोरस
अपनी बहादुरी के लिए विख्यात था। उसने उन सभी के समर्थन से अपने साम्राज्य
का निर्माण किया था जिन्होंने खुखरायनों पर उसके नेतृत्व को स्वीकार कर
लिया था। जब सिकंदर हिन्दुस्तान आया और जेहलम (झेलम) के समीप पोरस के साथ
उसका संघर्ष हुआ, तब पोरस को खुखरायनों का भरपूर समर्थन मिला था। इस तरह
पोरस, उनका शक्तिशाली नेता बन गया।
सिन्धु
और झेलम : सिन्धु और झेलम को पार किए बगैर पोरस के राज्य में पैर रखना
मुश्किल था। राजा पोरस अपने क्षेत्र की प्राकृतिक स्थिति, भूगोल और झेलम
नदी की प्रकृति से अच्छी तरह वाकिफ थे। महाराजा पोरस सिन्ध-पंजाब सहित एक
बहुत बड़े भू-भाग के स्वामी थे। पुरु ने इस बात का पता लगाने की कोशिश नहीं
की कि यवन सेना की शक्ति का रहस्य क्या है? यवन सेना का मुख्य बल उसके
द्रुतगामी अश्वारोही तथा घोड़ों पर सवार फुर्तीले तीरंदाज थे।
जब
सिकंदर ने आक्रमण किया तो उसका गांधार-तक्षशिला के राजा आम्भी ने स्वागत
किया और आम्भी ने सिकंदर की गुप्त रूप से सहायता की। आम्भी राजा पोरस को
अपना दुश्मन समझता था। सिकंदर ने पोरस के पास एक संदेश भिजवाया जिसमें उसने
पोरस से सिकंदर के समक्ष समर्पण करने की बात लिखी थी, लेकिन पोरस ने तब
सिकंदरकी अधीनता स्वीकार नहीं की।
जासूसों
और धूर्तताके बल पर सिकंदर के सरदार युद्ध जीतने के प्रति पूर्णतः
विश्वस्त थे। राजा पुरु के शत्रु लालची आम्भी की सेना लेकर सिकंदर ने झेलम
पार की। राजा पुरु जिसको स्वयं यवनी 7 फुट से ऊपर का बताते हैं, अपनी
शक्तिशाली गजसेना के साथ यवनी सेना पर टूट पड़े। पोरस की हस्ती सेना ने
यूनानियों का जिस भयंकर रूप से संहार किया था उससे सिकंदर और उसके सैनिक
आतंकित हो उठे थे।
भारतीयों
के पास विदेशी को मार भगाने की हर नागरिक के हठ, शक्तिशाली गजसेना के
अलावा कुछ अनदेखे हथियार भी थे जैसे सातफुटा भाला जिससे एक ही सैनिक कई-कई
शत्रु सैनिकों और घोड़े सहित घुड़सवार सैनिकों भी मार गिरा सकता था। इस
युद्ध में पहले दिन ही सिकंदर की सेना को जमकर टक्कर मिली। सिकंदर की सेना
के कई वीर सैनिक हताहत हुए। यवनी सरदारों के भयाक्रांत होने के बावजूद
सिकंदर अपने हठ पर अड़ा रहा और अपनी विशिष्ट अंगरक्षक एवं अंत: प्रतिरक्षा
टुकड़ी को लेकर वो बीच युद्ध क्षेत्र में घुस गया। कोई भी भारतीय सेनापति
हाथियों पर होने के कारण उन तक कोई खतरा नहीं हो सकता था, राजा की तो बात
बहुत दूर है। राजा पुरु के भाई अमर ने सिकंदर के घोड़े बुकिफाइलस
(संस्कृत-भवकपाली) को अपने भाले से मार डाला और सिकंदर को जमीन पर गिरा
दिया। ऐसा यूनानी सेना ने अपने सारे युद्धकाल में कभी होते हुए नहीं देखा
था।
सिकंदर जमीन पर
गिरा तो सामने राजा पुरु तलवार लिए सामने खड़ा था। सिकंदर बस पलभर का
मेहमान था कि तभी राजा पुरु ठिठक गया। यह डर नहीं था, शायद यह आर्य राजा का
क्षात्र धर्म था, बहरहाल तभी सिकंदर के अंगरक्षक उसे तेजी से वहां से भगा
ले गए। और इस तरह सिकंदर अपना इकलौता और आखरी युद्ध हार गया| पोरस महान
द्वारा सिकंदर को इतनी क्षति पहुंचाई गई की सिकंदरवापस अपने घर जाते समय
बिच बबिलोन में ही मर गया|
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