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दुनिया का आठवा अजूबा है

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      अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान के शासनकाल में जब बुद्ध की विशालकाय प्रतिमाएँ ध्वस्त की गईं थीं तो अंतरराष्ठ्रीय समुदाय ने इसका कड़ा विरोध किया था. उस समय कुछ ही लोगों को पता था कि शायद एक तीसरी और उन प्रतिमाओं से भी विशाल प्रतिमा है.

     अफ़ग़ानिस्तान में पैदा हुए और अब फ़्रांस में रह रहे एक पुरातत्व विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर ज़ेमरयाली तरज़ी का मानना है कि बामियान घाटी में ही कहीं धरती के नीचे यह तीसरी प्रतिमा छिपी हुई है.


          आठवाँ अजूबा?
यदि यह प्रतिमा मिल जाती है तो यह विश्व का आठवां अजूबा होगा. यह संसार की सबसे बड़ी मूर्ति होगी प्रोफ़ेसर तरज़ीस्ट्रासबर्ग विश्वविद्यालय से जुड़े हुए प्रोफ़ेसर तरज़ी कहते हैं कि सातवीं शताब्दी के एक चीनी विद्वान के लेखों में 300 मीटर लंबी बौद्ध प्रतिमा का ज़िक्र है.
तालेबान द्वारा ध्वस्त की गई दो प्रतिमाएँ 55 और 39 मीटर ऊँची थीं.
प्रोफ़ेसर तरज़ी ने बीबीसी को बताया,"यदि यह प्रतिमा मिल जाती है तो यह विश्व का आठवां आश्चर्य होगा. यह संसार की सबसे बड़ी मूर्ति होगी."
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तालेबान की हार के बाद प्रोफ़ेसर तरज़ी और उनकी टीम खुदाई करने और इस प्रतिमा की खोज करने के लिए अफ़गानिस्तान पहुँचे.
लेकिन एक स्थानीय कंमाडर के साथ टकराव के बाद उनका काम रुक गया है और उन्हें वापस जाना पड़ रहा है.
तालेबान प्रशासन द्वारा ध्वस्त की एक बौद्ध प्रतिमालेकिन वे कहते हैं कि अफ़गानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करज़ई या उप राष्ट्रपति करीम ख़लीली से अनुमति लेकर अगले साल फिर अपनी ख़ोज आगे बढ़ाने आएँगे.
उनका कहना है, "चीनी विद्वान क्सुआनजाँग के लेखों में संकेत मिलता है कि तीसरी प्रतिमा पिछली छोटी प्रतिमाओं के स्थल के पूर्व या दक्षिण-पूर्व में है."
अब तक इस ख़ोज में एक फ़्रांसीसी टीम ने अफ़गानिस्तान संस्कृति मंत्रालय और फ़्रांसीसी विदेश विभाग के सहयोग से खुदाई की है.
माना जाता है कि यह तीसरी प्रतिमा मिट्टी की बनी हुई थी और शायद जैसे-जैसे इस क्षेत्र में इस्लाम का प्रभाव बढ़ा बौद्ध भिक्षुओं ने प्रतिमाओं को धरती में दबा कर बचाने की कोशिश की.
प्रोफ़ेसर तरज़ी कहते हैं कि चीनी विद्वान क्सुआनजाँग के लेख विश्वसनीय हैं क्योंकि उनमें दो ध्वस्त प्रतिमाओं का नाप बिलकुल ठीक है और अन्य सूत्र भी इस बात की पुष्टि करते हैं.

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